प्रखर कथा प्रवक्ता, संस्कृत तथा हिन्दी कवि एवं शास्त्र मर्मज्ञ
आचार्यश्री
कौशलेन्द्रकृष्ण जी
(कथा वक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, काव्यकार, शस्त्र अध्येता)
आचार्याश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी सनातन शास्त्रों के गहन अध्येता हैं जिन्होने अपने 22 से भी अधिक वर्ष शास्त्रों को दिये हैं। वे संस्कृत तथा हिन्दी के काव्यकार भी हैं एवं छोटी उम्र से ही कथावक्ता भी हैं। इस वैबसाइट में आपको उनके लेख, उनकी रचनाओं के साथ ही उनकी हर जानकारी उपलब्ध होगी। “धर्मो भागवते स्थितः” श्रुति के अनुरूप कलिकाल में श्रीहरिकथा ही परम श्रेयस्कर है। एवं “वेदशास्त्रविशुद्धकृत्” श्रुति के अनुरूप वक्ता मिलना उतना ही दुर्लभ है। ऐसे में विशुद्ध ज्ञानमय कथा ज्ञानयज्ञ के आयोजन हेतु नीचे बटन पर क्लिक करें।
कथा के कुछ अंश
श्लोकधारा आदि नए बिन्दु
चित्रमाला
पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्ण शर्मा
पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्ण शर्मा छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में शाकद्वीपीय मग ब्राह्मण परिवार से उद्भूत हैं। भगवान् आदित्य के प्रति इनकी अगाध श्रद्धा है। माता महाश्वेता की कृपा से इन्हें संस्कृत भाषा का ज्ञान हुआ। बचपन से ही सनातन शास्त्रों में इनकी रुचि तो रही ही है। पिताश्री से इनका शास्त्राध्ययन निरंतर चलता रहता है। इन्हें संस्कृत, हिन्दी, आंग्ल तथा छत्तीसगढी का ज्ञान है। उन्होंने अलौकिक रूप से श्रीराधा जी को अपनी आचार्या माना है अतएव नामाग्र में “आचार्यश्री” लिखते हैं….
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