॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी

आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी ही इस पूरे जालपृष्ठ के स्वामी हैं। उनका वास्तविक नाम पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्ण शर्मा है। वर्तमान समय में उनका निवास ग्राम सेन्हाभाठा, कवर्धा (छ.ग.) है। कौशलेन्द्र जी एक अध्येता, चिन्तक, वक्ता तथा संस्कृत और हिन्दी आदि भाषाओं के कवि हैं।

इनके लेख

देवराज इन्द्र की आरती

देवराज इन्द्र की आरती

   रचयिता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हरिहयरूप हरे (जय) हरिहयरूप हरे।श्रुतियों में प्रथमार्चित, कर में वज्र धरे। जय हरिहय…हे काश्यप हे सुरपति, हे पर्जन्य करे।हे वृत्रारि अवनि के, दानव नित्य डरे। जय हरिहय…हे मेघालय के पति,...

श्री वराह भगवान (वराह अवतार भजन Lyrics)

श्री वराह भगवान (वराह अवतार भजन Lyrics)

   रचयिता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) सिद्ध संत जिनको जपें प्रकटे श्री सुखधाम।भक्तों के दुःख मेटने वे वराह भगवान॥ ^ विष्णु के अवतार मेरे, श्री वराह भगवान^ विष्णु के अवतार जिनके, चार भुजा अभिराम धरती का भार उठाते हैं, श्री वराह...

क्या हिन्दू बौद्ध मूर्तियों को पूजते हैं?

क्या हिन्दू बौद्ध मूर्तियों को पूजते हैं?

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) शुरू करने से पहले, यह लेख किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुचाने हेतु नहीं लिखी गई है बल्कि कुछ लोगों के उन वाक्यों का प्रत्युत्तर है जिसमें कि वे हिन्दुओं को लक्ष्य...

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