॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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तैं नइ जानच (लोकगीत)

तैं नइ जानच (लोकगीत)

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) तैं हा नइ जानच पोंगा फँसे हे तोर डोंगातैं नइ जानच।ये रे!तोर मोर काया माटी के संगी मोर!एही आवै जम्मो पोथी बेद के निचोरतैं हा नइ जानच।लाली पानी के तोर काया...

सुवाक्य (Download Or Purchase)

Download or decorate your wall by purchasing their frames. (आप चाहें तो इन्हे डाउनलोड करें या तो “फ्रेम ख़रीदें” पर क्लिक करके इसे ख़रीदकर अपने घर की दीवारों पर सजाएं।) “शीघ्रं जागरणं श्रेयो निद्रायां गर्वतो भ्रमात्॥” फ्रेम ख़रीदें...

Skanda Purana Manaskhand

<पीडीएफ लिस्ट/ मुखपृष्ठ भाषासंस्कृत, हिन्दीपरिष्कर्ताआचार्य गोपालदत्त पाण्डेयमुद्रकचौखम्भाप्रारूप*pdfआकार367.2MBफाइल संख्या1 विवरण – स्कन्द पुराण मानस खण्ड में विभिन्न पर्वतों तथा मानसरोवर आदि का वर्णन है। यह खण्ड अलभ्य है। आप सबके हेतु स्कंद पुराण मानसखण्ड...
ख्वाब में आकर कन्हैया क्यूँ सताते हो?

ख्वाब में आकर कन्हैया क्यूँ सताते हो?

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) ख्वाब में आकर कन्हैया क्यूँ सताते हो?जो जगूँ तो यूँ ही कैसे भाग जाते हो?रुक के पल भर देख लो रे ऐ मेरे ज़ालिमराधिका के नाम की आँसू बहाते हो।ख्वाब में नित ही लबों को...
विप्राष्टकम्

विप्राष्टकम्

   रचयिता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) यस्याङ्घ्र्याभरणेन शोभिततमो लक्ष्मीप्रियः केशवोनित्यं वै मनुते वसन् फणधरस्यास्यां च दुग्धार्णवे।जायन्ते विविधाः प्रजा इह सदा क्षत्र्यादयो येन तद्वन्देऽहं...
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