by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 29, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, सूर्यस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) वैष्णवानां हरिस्त्वं शिवस्त्वं स्वयंशक्तिरूपस्त्वमेवानयस्त्वं नतेः।त्वं गणाधिकृतस्त्वं सुरेशाधिप-स्त्वं मरुत्वान्रविस्त्वं सदा स्तोचताम्॥१॥ वैष्णवों के आप ही हरि...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 28, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, प्राकीर्ण
लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हमारी संस्कृत भाषा अत्यंत विस्तृत है। किन्तु सैद्धान्तिक रूप से सरल भी है। वैदिक संस्कृत एक अलग बिन्दु हो जाती है। उस भाषा में स्वर आदि को भी लिपिबद्ध किया जाता है।...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 27, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, स्तोत्र
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) व्यक्ताव्यक्तं सुरूपमप्रतिमसगुणं निर्गुणं निर्विकल्पंशब्दातीतं गुणाच्चाविचलितसचलं शाश्वतं शुद्धज्ञानम्॥भिन्नाभिन्नप्रधानप्रतिशयनिपुणं सर्वसम्मोहनात्मंयुक्तं...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 23, 2022 | Blogs, अंकित शर्मा, प्राकीर्ण
लेखक – पं. श्री अंकित शर्मा (कर्मकाण्डविद्, सतत अध्येता) विभूतियों की परिगणना के संदर्भ में भगवान् ने गीता में कहा है कि “धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ”। भरतकुलश्रेष्ठ अर्जुन! धर्म के अविरुद्ध रहने वाला काम मैं हूँ।...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 20, 2022 | Uncategorized
सुनीलहस्तचन्द्रहासहाटकस्थले कबन्–धहीनमुण्डमालिकामयामधर्म्यमन्थिकाम्।तथैव दुग्धसागरप्रभा प्रह्रीय ह्नाविकाइव प्रभा प्रपूरितां नुमोऽस्त्वनुग्रहार्णवाम्॥ – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी “नीले रंग के हाथों में चन्द्रहास तथा स्वर्णाभूषणों के स्थान,...