॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

संपर्क करें

क्या ज्येष्ठ के मरणोपरान्त स्त्री अपने देवर को स्वीकार करके अपना वैधव्य त्याग सकती है?

क्या ज्येष्ठ के मरणोपरान्त स्त्री अपने देवर को स्वीकार करके अपना वैधव्य त्याग सकती है?

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) वर्तमान समय में कुछ इतर जातियाँ हैं जो अग्रज के मरणोपरान्त अनुज को विधवा का पति स्वीकार लेतीं हैं। वस्तुतः हम इन रीतियों के विषय में कुछ कहना तो नहीं चाहते किन्तु...
Avyangabhanu : अव्यंगभानु

Avyangabhanu : अव्यंगभानु

ग्रंथाकृति में पहली बार। मगों तथा सूर्योपासक विप्रों हेतु परमावश्यक “अव्यंग” का दुर्लभ विधान जो कि मात्र १२ रश्मियों (अध्यायों) तथा ३६० श्लोकों में लिखित है। तुरन्त ऑर्डर करें AMAZON (Price – ₹200) FLIPKART (Price – ₹200) NOTION PRESS (Price...
वेदों में मूर्तिपूजा, साकार परमेश्वर तथा अवतार के प्रमाण

वेदों में मूर्तिपूजा, साकार परमेश्वर तथा अवतार के प्रमाण

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) आज कलयुग में कुछ ऐसे प्रबुद्ध जनों के अनुयायी हैं जो गणेश को ईश्वर का नाम तथा ओम् का पर्याय बताते हैं किन्तु ग्रन्थ प्रारम्भ में “श्रीगणेशाय नमः” लिखने...
श्रीनृसिंहप्रपन्नस्तोत्रम्

श्रीनृसिंहप्रपन्नस्तोत्रम्

   प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) न मन्त्रं तन्त्रं वा विविधकुलयन्त्रागमशुची–न्न तत्वं मायायास्तवचरणदास्याश्च सचितः।सितास्तस्या वृत्याऽऽचरणपतिता योग्यविकलान योग्योऽहं देव तदपि...
श्री सिद्धेश्वरी स्तोत्र

श्री सिद्धेश्वरी स्तोत्र

॥ अथ स्तोत्रम् ॥ सिद्धेश्वर्य्यैः नमस्तुभ्यं नमस्ते च शिवप्रिये।धूम्राक्ष्यै च विरुपायै घोरायै च नमो नमः॥ हे सिद्धेश्वरी! आपके लिये नमस्कार है। हे शिव की प्रिया! हे धूम्राक्षी! हे विरूपा! हे घोरा! आपका नमस्कार है। पञ्चास्यायै शुभास्यायै चन्द्रास्यायै च वै नमः।वरदायै...
error: कॉपी न करें, शेयर करें। धन्यवाद।