॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी
   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि)

हमारी संस्कृत भाषा अत्यंत विस्तृत है। किन्तु सैद्धान्तिक रूप से सरल भी है। वैदिक संस्कृत एक अलग बिन्दु हो जाती है। उस भाषा में स्वर आदि को भी लिपिबद्ध किया जाता है। हम कई बार जब लिखते हैं तो स्वर आदि का भी यथावत् ऋचाओं के साथ टंकण कर देते हैं। कई लोग पूछते हैं कि हमारे एण्ड्रॉयड या आइफोन कुंजीपटल में तो स्वरों के चिह्न नहीं होते, तो हमें यह कहाँ से मिला? सो उनकी सुविधा हेतु हम यहाँ समस्त वैदिक संस्कृत टंकण में आवश्यक चिह्नों को कॉपी करने लायक वस्तुओं के रूप में लिख रहे हैं। उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता के अनुरूप उन्हें कॉपी करके उपयोग कर सकता है। यहाँ उदात्तादि के चिह्न, गूं के चिह्न आदि प्राप्य हैं। गूं हेतु सामान्यलेखन में “ꣳ” या “र्ठं” प्रयुक्त है। र्+ठ+ं से आप र्ठं तो कुंजीपटल से स्वयं बना सकते हैं, किन्तु अलभ्य चिह्न नीचे दिये हैं।

एक उदाहरण देखें –

हरि÷ ॐ ग᳘णाना॑न्त्वाग᳘णप॑तिᳯहवामहेप्प्रि᳘याणा॑न्त्वाप्प्रि᳘यप॑तिᳯहवामहेनिधी᳘नान्त्वा॑निधि᳘पति॑ᳯहवामहेव्वसोमम। आहम॑जानिगर्ब्भ᳘धमात्त्वम॑जासिगर्ब्भ᳘धम्॥

दुर्गम अक्षर तथा मात्राएं

अनुदात्त, उदात्तादि स्वर तथा “गूं” की लिपियाँ

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