॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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Samavediya Ranayaniya Ganam (Ebook)

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Description

सामवेद हेतु कुछ लोग कहते हैं कि इसकी सहस्र शाखाएं हैं। कुछ कहते हैं कि इसकी २४ शाखाएं तथा गान की विधाएं सहस्र हैं। जो भी हो, वर्तमान में इसकी कौथुमी, जैमिनी तथा राणायणी, ये तीन शाखाएं ही उपलब्ध हैं। जो ब्राह्मणकुल जिस शाखा से बद्ध होता है, वह उसके अनुरूप ही आचरण तथा पाठ आदि करता है। यदि साम के गायन की बात करें तो प्रत्येक शाखाओं में मात्रिक वैषम्य प्राप्त है अतः तीनों शाखाओं की गानविधि भिन्न भिन्न है। यह पुस्तिका राणायणीय शाखा के अन्तर्गत गानविधि के अध्ययनादि हेतु उपयुक्त है।

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