॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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लेखकप्रजापति मनु
भाषाहिन्दी, संस्कृत
प्रकाशकमुंशी नवलकिशोर सी. आई. ई
प्रारूप*pdf
आकार18.2MB
फाइल संख्या1

विवरण –

यह महाग्रंथ भगवान् मनु के माध्यम से प्रदत्त मानव धर्म का स्वरूप है। यह सनातन धर्म तथा विश्वगुरु भारत का संविधान है। जब तक भारत में इसको माना जाता था, भारत विश्वगुरु था। आज के युग में कई समूह अल्पज्ञान के कारण इससे द्वेष करते हैं। वस्तुतः द्वेषात्मक इसमें कुछ नहीं, सब व्यक्ति की बुद्धि के कारण न समझ पाने से फैला भ्रम है। अतएव, ऐसे ग्रंथों का किसी पात्र गुरु के माध्यम से अध्ययन करना चाहिये।

कुछ संस्थाओं ने अपनी मंदबुद्धि का प्रदर्शन करने हेतु इसमें संशोधन कर दिया और कहते है कि ऐसा इस लिये किये ताकि लोग मनुस्मृति का सम्मान करें।

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