॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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लेखकमहर्षि वाल्मीकि
प्रकाशक
प्रारूप*pdf
आकार293.7MB
भाषासंस्कृत, हिन्दी
फाइल संख्या1

विवरण –

भगवान् श्री रामचंद्र के सुन्दर चरित्रों के आयोजनरूप इस ग्रंथ में अधिकांश कथाएं वाल्मीकीय रामायण से ली गईं हैं। इतिहासकार इसके लेखक को अज्ञात कहते हैं किंतु आचार्यों ने इसके लेखक वाल्मीकि जी को ही माना है।

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