
लेखक | भगवान् कृष्णद्वैपायन (वेदव्यास) |
भाषा | संस्कृत, हिन्दी |
प्रकाशक | गीताप्रेस गोरखपुर |
प्रारूप | |
आकार | 308.7MB |
फाइल संख्या | 1 |
विवरण –
इस ग्रंथ को स्वयं भगवान् शिव के मुख से भवानी हेतु निर्गत जानना चाहिये। यह ग्रन्थ ब्रह्माण्डपुराण के उत्तरखण्ड से प्राप्त होने के कारण इनके लेखक श्री वेदव्यास जी ही हैं। श्रीरामचरितमानस से मेल खा रहे प्राचीन ग्रंथों में सबसे श्रेष्ठ होने के कारण यह कहना कि इसके प्रामाण्य को श्री तुलसीदास जी ने भी माना, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी।