॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

संपर्क करें

यहाँ आप पाएंगे आचार्यश्री डॉट इन में हुए नवीनतम परिवर्तनों को यथाशीघ्र!

मुख्य

आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी की नईं रचनाएं

हृदयस्थल के अंतः तल में

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हृदयस्थल के अंतः तल मेंएक नाम नित गाता हूँ।राम राम की धुन को सुनकरशरणागत हो जाता हूँ।देवालय में निज आलय मेंनिर्जन वन के मेघालय में।लय में लय से मुक्त निलय मेंराम नाम लय...

दोषारोपण मन का मल

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) दोषारोपण मन का मल॥देह मृदानिर्मित घट धूसर।भोगे सुख दुःख स्वयं बनाकर॥पैर गिरे यदि हाथ का मुद्गर,क्रुद्ध कहाँ पर लक्ष्य लगाए बैठा आत्म सबल।दोषारोपण मन का मल॥इन्द्रिय चय...

काखर बर गुसियावौं

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) रे संगी काखर बर गुसियावौंदेख हमर काया माटी के अपने दुःख भोगै थारी के।गोड़ मा गिर गै हाँथ के कुदरी काबर नइ चिल्लावौं,संगी काखर बर गुसियावौं॥हाथ गोड़ मा देव बसे हें अपने दे...

वैशाख के झड़ी

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) "माथ मटू हे मंजूर के पंख त कान के नाक के बात कहाँ हे।आँख के आँजे सजे संगवारी त सुग्घर मा रति काम लजा हे।डेरी के खांध म डेरा त आन म बंसरी तान के सान सजा हे।'कौशल' राधा के राउत रूप बिसाख रगी म...

श्रीकालीज्वालपास्तव

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) महाकुण्डितातण्डमार्त्तण्डदीप्तांबृहद्भानुसंतप्तमुण्डस्रजाङ्गीम्॥जटाकञ्चितक्लान्तराज्ञा विरक्तांमुदां ज्वालपां नौमि संरावकर्त्रीम्॥१॥ जिनकी कान्ति भयंकर ज्वालाओं से...

भवानीसप्तकम्

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) कं कं केशेषु मेघेषु मनसिजबृसीं धूर्जटेः भूषितेशींकाशामाकाशवासामरुणकरुणया प्रोल्लसद्रुक्मरेखाम्।डं डं डं डं निनादेऽस्थिरनटनटितां दैत्यनाट्यं विभङ्गांतां वन्दे...

पार्वतीश्वरसौन्दर्यवर्णनम्

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) शुभशितिकचकान्तिं दाडिमीपुष्पवर्णा--धरनलिनयमाक्षीं रुक्मशोभाकिरीटम्।विधुजटितजटाभिर्जाटकं मङ्गलानांनववरवधुयुग्मं पार्वतीशं नतोऽस्मि॥१॥ सुन्दर काले केशों की कान्ति, अनार...

हिन्दी स्तुतियाँ

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी के द्वारा जन साधारण हेतु सरल हिन्दी में तीन देवताओं की स्तुतियों का प्रणयन हुआ है। स्तुति उसे ही कहें तो उचित है जो कि ध्येय तथा ध्याता...

श्रीनृसिंहप्रपन्नस्तोत्रम्

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) न मन्त्रं तन्त्रं वा विविधकुलयन्त्रागमशुची--न्न तत्वं मायायास्तवचरणदास्याश्च सचितः।सितास्तस्या वृत्याऽऽचरणपतिता योग्यविकलान योग्योऽहं देव तदपि नृमृगेद्रार्तिथयिषे॥१॥ न...

कालिकालास्यम्

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) असितवपुरिवाञ्जनां प्रमीता--जिरचरणामथरिप्रभाविदीप्ताम्।क्षणनुजशिरभित्तिशुक्तितृप्तांवसनविरागतनुं प्रणौमि नर्याम्॥१॥ कज्जल के समान काले शरीर वाली, मृत देह पर चरण रखी हुई...

श्रीगणपतिमदनस्तोत्रम्

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) शिवसङ्गमुदाङ्करतं सुरतंनटराजनटं नृतुयूथमुखम्।सुकृतेर्निकरं इतिख्यातिमयंस्मर रे इह चित्त गणाधिपतिम्॥१॥ "जो भगवान् शिव के गोद में बैठे बड़े आनन्दित हैं। जो कि नटराज के...

आदित्यहर्षणस्तोत्रम्

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) वैष्णवानां हरिस्त्वं शिवे धूर्जटिर्--शक्तिरूपो नतीनां कृतान्तः परम्।यो गणारूढ़निर्यूहद्वैमातुरःसः सुरेशो रविस्त्वं सदा स्तोचताम्॥१॥ वैष्णवों के आप ही हरि हैं, शाङ्कर...

हलषष्ठी माता की आरती

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) जय षष्ठी माते जय हलषष्ठी माते।नीराजनममरैर्कृतमाधात्रे जाते॥ जय हल...करुणामयि गुणशीले तिथिशीलेऽभयदे।वचसातीतमहिम्ने वात्सल्येऽऽनन्दे॥ जय हल…कंसभगिन्या पूज्ये...

वर्षाऋतुवर्णनम्

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) नवासान्द्राच्छादो विपिनतरुवल्ली वलयितालताहारं चारुं सजतिक्षितिवक्षस्थलगताम्।प्लवा भृङ्गार्यश्च मधुररववादेनसयुताऽऽ--गताश्चाराध्यायै स्तव इव सुराऽहो ऋतुमयः॥१॥ वन में...

राष्ट्रध्वजा बृहता विपुला

स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाओं सहित राष्ट्रध्वजा बृहता विपुला संस्कृत कविता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी रामकृष्णसुरवरमुनिचरितायां                               भारत्यां रमणीयां यत्रोत्पलिफलगुह्यदुर्लभो                              जोघुष्यन्तेऽमृतप्रवराः। अशरणशरणाः...

श्री सिद्धेश्वरीरञ्जनम्

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) प्राक्कथन माता सिद्धेश्वरी का शास्त्रीय वर्णन सम्भवतः केवल वाराहपुराण में कुछ ही श्लोकों में मिलता है। वर्तमान में उनका एक मंदिर वाराणसी में है। वाराह पुराणानुसार वे...

आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी के ग्रंथ

Avyangabhanu : अव्यंगभानु

ग्रंथाकृति में पहली बार। मगों तथा सूर्योपासक विप्रों हेतु परमावश्यक "अव्यंग" का दुर्लभ विधान जो कि मात्र १२ रश्मियों (अध्यायों) तथा ३६० श्लोकों में लिखित है। तुरन्त ऑर्डर करें पुस्तकाकार प्रारूप AMAZON (Price - ₹200) FLIPKART (Price - ₹200) NOTION PRESS (Price ₹200)...

अन्य लेख

संन्यासियों तथा वानप्रस्थियों के पुनर्गृहस्थ होने तथा उनकी संततियों के विषय में शास्त्रपक्ष

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) प्रश्न: क्या संन्यासी या वानप्रस्थी पुनः गृहस्थ बन सकता है तथा पुत्र आदि उत्पन्न कर सकता है? चूँकि संन्यास में ब्राह्मण को ही अधिकार ("ब्राह्मणाः प्रव्रजन्ति" - जाबाल०,...

हनुमान् जी की वानर प्रजाति

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) कुछ लोगों का यह वक्तव्य होता है कि हनूमान् वानर तो थे, किन्तु वानर इत्युक्ति आदिवासियों के लिये ही प्रयुक्त होती है। कुछ जन कहते हैं कि हनूमान् की तो पूँछ भी...

प्राचीन भारतीय सभ्यता : वेदों की प्राचीनता

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) वेद सनातन धर्म के चार स्तंभ हैं। वेद वे वृक्ष हैं जिनसे वेदान्त, पुराण आदि शाखाएं उद्भूत होतीं हैं। समस्त शास्त्रों का मूल वेद ही है। वेदों से ही समस्त ज्ञान का...

प्राचीन भारतीय सभ्यता : आर्य प्रवास एक झूठ

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हमारी भारत भूमि विविधताओं का देश है। संस्कृति से लेकर रूप, रंग में भी विविधता है। आदिकाल से इस भूमि को देवभूमि कहा जाता है। देवता भी जहाँ जन्म लेने के इच्छुक...

प्राचीन भारतीय सभ्यता : सिंधु घाटी का धर्म

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हमारा भारत आज से नहीं, आदि से ही विविधताओं का देश है। यहाँ गांव गांव में प्रथाएं हैं वो भी परिवर्तन के साथ संजोई हुई। वहाँ के गीत, इतिहास आदि उनका ब्यौरा हम सब तक सुलभ...

क्या ज्येष्ठ के मरणोपरान्त स्त्री अपने देवर को स्वीकार करके अपना वैधव्य त्याग सकती है?

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) वर्तमान समय में कुछ इतर जातियाँ हैं जो अग्रज के मरणोपरान्त अनुज को विधवा का पति स्वीकार लेतीं हैं। वस्तुतः हम इन रीतियों के विषय में कुछ कहना तो नहीं चाहते किन्तु किसी के...

वेदों में साकार परमेश्वर, अवतार तथा मूर्तिपूजा के प्रमाण

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) आज कलयुग में कुछ ऐसे प्रबुद्ध जनों के अनुयायी हैं जो गणेश को ईश्वर का नाम तथा ओम् का पर्याय बताते हैं किन्तु ग्रन्थ प्रारम्भ में "श्रीगणेशाय नमः" लिखने के स्थान में "ओम्"...

विकास दिव्यकीर्ति जी के द्वारा रामायण पर प्रस्तुत प्रश्नों का निष्कर्ष

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) अभी एक दृष्टि आइएएस के शिक्षक श्री विकास दिव्यकीर्ति जी का वीडियो चारो ओर चल रहा है, जिसमें वे बता रहे हैं कि कुछ विषयों को लेकर लोग रामचरित्र पर कटाक्ष करते हैं। इस...

सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति, वैकुण्ठ चतुर्दशी का उपलक्ष्य तथा भगवान् शिव का विरूपाक्ष होना

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) आज वैकुण्ठ चतुर्दशी है। आप सबको कोटिशः शुभकामना। आज की तिथि को भगवान् हरि तथा हर के प्रेम की परिचायिका कहें तो अतिशयोक्ति नहीं। भगवान् हरि को हर से सुदर्शन चक्र की प्राप्ति जो हुई थी। वैसे,...

ग्रहण के कर्तव्य अकर्तव्य

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) सूर्यग्रहण तथा चन्द्रग्रहण क्यों होता है, यह तो आप सब सुने ही हैं। इस विषय पर चर्चा न करते हुए सीधे आवश्यक विषयों पर आते हैं। पहले तो हमें यह ज्ञात हो कि ग्रहण दिखे, तभी...

नए पीडीएफ फाइल्स

Jati Bhaskar

मुख्यपृष्ठ लेखकज्वाला प्रसाद मिश्रप्रकाशकखेमराज श्रीकृष्णदाससंस्करणप्रारूप*pdfआकार36.4MBभाषाहिन्दीफाइल संख्या1 विवरण - जाति भास्कर ग्रंथ में भारत में प्रचलित समस्त जातिओं की उत्पत्ति का क्रमवार वर्णन का उद्यम किया गया है। ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य, शूद्र आदि की समस्त...

Bhairava Vigyan

मुख्यपृष्ठ लेखकश्री कृष्णानन्द बुधौलियाप्रकाशकश्री पीताम्बरा पीठ संस्कृत परिषद्संस्करणप्रथम (सन् १९८३)प्रारूप*pdfआकार92.2MBभाषाहिन्दीफाइल संख्या1 विवरण - भैरव विज्ञान नामक इस ग्रंथ में शाक्त साथना के गूढ़तम रहस्यों को सरल भाषा में उद्घाटित किया गया है। अहं निरूपण,...

Grihasthanam Kshaura Nirnayah

मुख्यपृष्ठ लेखकपंडित रामलालप्रकाशकखेमराज श्रीकृष्णदाससंस्करणप्रारूप*pdfआकार8.7MBभाषासंस्कृत, हिन्दीफाइल संख्या1 विवरण - गृहस्थानां क्षौरनिर्णयः, ऐसे शीर्षक वाली इस पुस्तिका में गृहस्थों हेतु क्षौर (हजामत) से संबंधित समस्त शास्त्रीय नियमों का संकलन किया गया है। हर...

Gayatri Upasana Paddhati

मुख्यपृष्ठ लेखकशिवचैतन्यवर्णीप्रकाशकमित्तल ऑफसेटसंस्करणप्रथम (सन् १९९९)प्रारूप*pdfआकार7.5MBभाषासंस्कृत, हिन्दीफाइल संख्या1 विवरण - समस्त द्विज जिन गायत्री का नित्य जाप करते हैं, इस गायत्री उपासना पद्धति पुस्तिका में उन्ही की आराधन पद्धति का सुन्दर वर्णन किया गया है।...

Upakarma Paddhati (Yajurved)

मुख्यपृष्ठ लेखकलक्ष्मीनारायण गोस्वामीप्रकाशकवंशीधर प्रेमसुखदासप्रारूप*pdfआकार22.6MBभाषासंस्कृतफाइल संख्या1 विवरण - उपाकर्म द्विजाति हेतु अत्यंत आवश्यक कर्म है। हर वेद की सूत्रानुसार भिन्न भिन्न पद्धतियाँ हैं। यह पद्धति यजुर्वेद की माध्यन्दिनी शाखा से संबंधित है तथा...

Aaryon Ka Aadidesh

मुख्यपृष्ठ लेखकविद्यानन्द सरस्वतीप्रकाशकवैदिक यति मण्डलप्रारूप*pdfआकार20.3MBभाषाहिन्दीफाइल संख्या1 विवरण - यह किन्ही आर्यसमाजी संत द्वारा लिखित पुस्तक है। वैसे इस नाम की दो पुस्तकें उपलब्ध हैं। यह पुस्तक अधिक उत्तम सामग्रियों का समूह है। पुस्तक का विषय आर्यों के...

Anand Ramayan

मुख्यपृष्ठ लेखकमहर्षि वाल्मीकिप्रकाशकप्रारूप*pdfआकार293.7MBभाषासंस्कृत, हिन्दीफाइल संख्या1 विवरण - भगवान् श्री रामचंद्र के सुन्दर चरित्रों के आयोजनरूप इस ग्रंथ में अधिकांश कथाएं वाल्मीकीय रामायण से ली गईं हैं। इतिहासकार इसके लेखक को अज्ञात कहते हैं किंतु आचार्यों ने...

हिन्दी स्तुतियाँ

   प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी के द्वारा जन साधारण हेतु सरल हिन्दी में तीन देवताओं की स्तुतियों का प्रणयन हुआ है। स्तुति उसे ही कहें तो उचित है जो कि ध्येय तथा ध्याता...

संस्कृत वाङ्मय का बृहद् इतिहास

<डाउनलोड/ मुख्यपृष्ठ प्रधान सम्पादकपद्मभूषण आचार्य बलदेव उपाध्यायभाषाहिन्दीप्रकाशकउत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानप्रारूप*pdfआकार153.8MB + 198.4MB + 154.3MB + 107.5MB + 186.0MB + 87.5MB + 115.1MB + 124.7MB + 147.4MB + 136.5MB + 195.0MB + 103.7MB + 144.0MB + 297.6MBफाइल...

रुद्राष्टाध्यायी

मुख्यपृष्ठ स्रोतशुक्लयजुर्वेदभाषावैदिक संस्कृत, हिन्दीप्रकाशकगीताप्रेस गोरखपुरप्रारूप*pdfआकार12.7MBफाइल संख्या1 विवरण - यह भगवान् रुद्र को समर्पित रुद्राष्टाध्यायी है, जिसका सस्वर पाठ रुद्राभिषेक में होता है। इस पुस्तिका में पार्थिवेश्वर पूजन सहित सानुवाद आठ और दो...
error: कॉपी न करें, शेयर करें। धन्यवाद।