॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवते जितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी की नईं रचनाएं

भवानीसप्तकम्

कं कं केशेषु मेघेषु मनसिजबृसीं धूर्जटेः भूषितेशींकाशामाकाशवासामरुणकरुणया प्रोल्लसद्रुक्मरेखाम्।डं डं डं डं निनादेऽस्थिरनटनटितां दैत्यनाट्यं विभङ्गांतां वन्दे तन्त्रमातां जगदुदयकृतां दीध्यनायेशयोषे॥१॥ "जिनके मेघ स्वरूप केशों में आभूषणस्वरूप चन्द्रमा को स्वयं भगवान् शिव...

पार्वतीश्वरसौन्दर्यवर्णनम्

शुभशितिकचकान्तिं दाडिमीपुष्पवर्णा--धरनलिनयमाक्षीं रुक्मशोभाकिरीटम्।विधुजटितजटाभिर्जाटकं मङ्गलानांनववरवधुयुग्मं पार्वतीशं नतोऽस्मि॥१॥ सुन्दर काले केशों की कान्ति, अनार के पुष्प के समान लाल ओष्ठ तथा कमल पुष्प के दो पंखुड़ियों के समान नेत्र, स्वर्ण मुकुट से परिपूर्ण...

हिन्दी स्तुतियाँ

आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी के द्वारा जन साधारण हेतु सरल हिन्दी में तीन देवताओं की स्तुतियों का प्रणयन हुआ है। स्तुति उसे ही कहें तो उचित है जो कि ध्येय तथा ध्याता के मध्य सम्बन्ध स्थापित करे। किन्तु संस्कृत की स्तुतियाँ, एक तो कम लोग ही शुद्ध उच्चारण में समर्थ हैं,...

श्रीनृसिंहप्रपन्नस्तोत्रम्

न मन्त्रं तन्त्रं वा विविधकुलयन्त्रागमशुची--न्न तत्वं मायायास्तवचरणदास्याश्च सचितः।सितास्तस्या वृत्याऽऽचरणपतिता योग्यविकलान योग्योऽहं देव तदपि नृमृगेद्रार्तिथयिषे॥१॥ न मैं मंत्र जानता हूँ, न तन्त्र जानता हूँ, न ही विविध प्रकार के यंत्र, वेद तथा शुद्ध्याशुद्ध्याचार ही...

कालिकालास्यम्

असितवपुरिवाञ्जनां प्रमीता--जिरचरणामथरिप्रभाविदीप्ताम्।क्षणनुजशिरभित्तिशुक्तितृप्तांवसनविरागतनुं प्रणौमि नर्याम्॥१॥ कज्जल के समान काले शरीर वाली, मृत देह पर चरण रखी हुई तथा चारो ओर धधकती ज्वाला से दीप्त, कपाल में रक्त को भरकर पीती हुई तृप्ति प्राप्त करने वाली तथा नग्न...

श्रीगणपतिमदनस्तोत्रम्

शिवसङ्गमुदाङ्करतं सुरतंनटराजनटं नृतुयूथमुखम्।सुकृतेर्निकरं इतिख्यातिमयंस्मर रे इह चित्त गणाधिपतिम्॥१॥ "जो भगवान् शिव के गोद में बैठे बड़े आनन्दित हैं। जो कि नटराज के पुत्र तथा नटियों के समूह के भी मुख्य हैं। जो सुकृति के घर के रूप में प्रसिद्ध हैं, अरे चित्त! तूँ उन...

आदित्यहर्षणस्तोत्रम्

वैष्णवानां हरिस्त्वं शिवे धूर्जटिर्--शक्तिरूपो नतीनां कृतान्तः परम्।यो गणारूढ़निर्यूहद्वैमातुरःसः सुरेशो रविस्त्वं सदा स्तोचताम्॥१॥ वैष्णवों के आप ही हरि हैं, शाङ्कर परम्परा में आप ही शिव हैं तथा आप ही शक्तिस्वरूप हैं। आप ही समस्त नमस्कारों के परम भाग्य (गन्तव्य) हैं।...

हलषष्ठी माता की आरती

जय षष्ठी माते जय हलषष्ठी माते।नीराजनममरैर्कृतमाधात्रे जाते॥ जय हल...करुणामयि गुणशीले तिथिशीलेऽभयदे।वचसातीतमहिम्ने वात्सल्येऽऽनन्दे॥ जय हल…कंसभगिन्या पूज्ये चन्द्रललितसुतदे।वंशकरे प्रभुरिवगुणयुक्तवत्सकप्रदे॥ जय हल…वैदर्भ्याऽपि सुपूज्ये...

वर्षाऋतुवर्णनम्

नवासान्द्राच्छादो विपिनतरुवल्ली वलयितालताहारं चारुं सजतिक्षितिवक्षस्थलगताम्।प्लवा भृङ्गार्यश्च मधुररववादेनसयुताऽऽ--गताश्चाराध्यायै स्तव इव सुराऽहो ऋतुमयः॥१॥ वन में लताओं पर नवीन तथा सुकोमल पत्ते छा गए हैं। जैसे सुन्दर लताहार को पृथ्वी अपने वक्ष पर धारण कर रही हो। मेढक...

राष्ट्रध्वजा बृहता विपुला

स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाओं सहित राष्ट्रध्वजा बृहता विपुला संस्कृत कविता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी रामकृष्णसुरवरमुनिचरितायां                               भारत्यां रमणीयां यत्रोत्पलिफलगुह्यदुर्लभो                              जोघुष्यन्तेऽमृतप्रवराः। अशरणशरणाः...

श्री सिद्धेश्वरीरञ्जनम्

प्राक्कथन माता सिद्धेश्वरी का शास्त्रीय वर्णन सम्भवतः केवल वाराहपुराण में कुछ ही श्लोकों में मिलता है। वर्तमान में उनका एक मंदिर वाराणसी में है। वाराह पुराणानुसार वे भगवान् श्रीकृष्ण को संकेत देने वाली देवी हैं अतएव उनका नाम संकेतकेश्वरी भी है। वे ही जम्बुद्वीप पर हम...

आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी के ग्रंथ

Avyangabhanu : अव्यंगभानु

ग्रंथाकृति में पहली बार। मगों तथा सूर्योपासक विप्रों हेतु परमावश्यक "अव्यंग" का दुर्लभ विधान जो कि मात्र १२ रश्मियों (अध्यायों) तथा ३६० श्लोकों में लिखित है। तुरन्त ऑर्डर करें पुस्तकाकार प्रारूप AMAZON (Price - ₹200) FLIPKART (Price - ₹200) NOTION PRESS (Price ₹200)...

अन्य लेख

क्या ज्येष्ठ के मरणोपरान्त स्त्री अपने देवर को स्वीकार करके अपना वैधव्य त्याग सकती है?

वर्तमान समय में कुछ इतर जातियाँ हैं जो अग्रज के मरणोपरान्त अनुज को विधवा का पति स्वीकार लेतीं हैं। वस्तुतः हम इन रीतियों के विषय में कुछ कहना तो नहीं चाहते किन्तु किसी के माध्यम से पूछे जाने पर इसपर लिख रहे हैं। विधवा का विवाह समर्थन करने वाले जन मुख्यतः निरुक्त...

वेदों में साकार परमेश्वर, अवतार तथा मूर्तिपूजा के प्रमाण

आज कलयुग में कुछ ऐसे प्रबुद्ध जनों के अनुयायी हैं जो गणेश को ईश्वर का नाम तथा ओम् का पर्याय बताते हैं किन्तु ग्रन्थ प्रारम्भ में "श्रीगणेशाय नमः" लिखने के स्थान में "ओम्" मात्र लिखने के ही पक्षधर होते हैं। ये ऐसे प्रबुद्ध हैं जो स्वयं ईश्वर को सर्वशक्तिमान् कहकर उनकी...

विकास दिव्यकीर्ति जी के द्वारा रामायण पर प्रस्तुत प्रश्नों का निष्कर्ष

अभी एक आइएएस के शिक्षक श्री विकास दिव्यकीर्ति जी का वीडियो चारो ओर चल रहा है, जिसमें वे बता रहे हैं कि कुछ विषयों को लेकर लोग रामचरित्र पर कटाक्ष करते हैं। आज इसी विषयों के अस्तित्व का कारण जानने का प्रयास करेंगे। कथन यह सही ही है कि किसी भी घटनाक्रम का एक छोटा सा भाग...

सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति, वैकुण्ठ चतुर्दशी का उपलक्ष्य तथा भगवान् शिव का विरूपाक्ष होना

आज वैकुण्ठ चतुर्दशी है। आप सबको कोटिशः शुभकामना। आज की तिथि को भगवान् हरि तथा हर के प्रेम की परिचायिका कहें तो अतिशयोक्ति नहीं। भगवान् हरि को हर से सुदर्शन चक्र की प्राप्ति जो हुई थी। वैसे, सुदर्शन चक्र का सम्बन्ध श्रीसूर्यनारायण से अकाट्य है। क्योंकि वे ही इस चक्र के...

ग्रहण के कर्तव्य अकर्तव्य

सूर्यग्रहण तथा चन्द्रग्रहण क्यों होता है, यह तो आप सब सुने ही हैं। इस विषय पर चर्चा न करते हुए सीधे आवश्यक विषयों पर आते हैं। पहले तो हमें यह ज्ञात हो कि ग्रहण दिखे, तभी मान्य होगा। विभिन्न पंचांगों में विभिन्न समय देखकर कुछ जन भ्रमित होते हैं। इन विभिन्न समयों का...

दीपावली में पटाखों की चर्चा

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण हमारी सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। इसी बात को ध्यान में रखकर वर्तमान समय में दीपावली पर्व पर पटाखों से दूरी रखने का आदेश दिया जाता है। इस आदेश का हम सब भी पालन करते हैं क्योंकि हमें ज्ञात तो यही है कि दीपावली तो केवल दीपों का पर्व है। आज...

स्त्रियों के पुराणवाचन विषयक ध्यातव्य शास्त्र निर्देश

यहाँ दिये गए सारे वाक्य शास्त्रों के हैं। इनका उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं अपितु भागवत प्रवाचिका युवतियों तथा श्रोताओं को अवगत कराना है। ये शास्त्र सिद्धान्त धर्म है। इनका पालन न करने वाला हर व्यक्ति अधर्मी ही होगा। "इतिहासपुराणं च पञ्चमं वेद उच्यते।"इतिहास...

करवा चौथ व्रत की शास्त्रीय विधि

करक चतुर्थी या करवा चौथ के नाम से यह बड़ा ही प्रचलित व्रत है जो वर्ष से चतुर्थीव्रतों में से एक है। इस दिन सौभाग्य की अक्षरता हेतु स्त्री भगवान् गणपति की पूजा करती है। आधुनिक काल में इस व्रत में भी विविधता परिलक्षित होती है अतएव इस लेख को लिखने का उद्देश्य सिद्ध है।...

पौराणिक सात द्वीपों की वर्तमान स्थिति

वर्तमान समय में हम जिस पृथ्वी पर निवास करते हैं, प्रश्न यही है कि हम उसके विषय में कितना जानते हैं। सम्भवतः इसके विषय में हमें एक प्रतिशत का भी ज्ञान नहीं। हमें यह ज्ञान अवश्य है कि हमारे समक्ष ज्ञान का अथाह भण्डार सनातन शास्त्रों के रूप में पड़ा है किन्तु हम या तो...

नवरात्र के कुमारी पूजन हेतु ध्यातव्य बातें, कन्याओं के लक्षण

जिस प्रकार सिंह शावक की माता अपने पुत्र के ऊपर भय जानकर तत्क्षण उसके निकट आ जाती है, तथा एव भगवती इन वज्रदंष्ट्रा कही जाने वाली वसंत तथा शरद ऋतुओं में अपने पुत्रों की रक्षा हेतु उनके सन्निकट आ जाती है। आश्विन में हस्तयुक्त नन्दा तिथि में वेदी आदि निर्माण करके नक्तादि...

नए पीडीएफ फाइल्स

हिन्दी स्तुतियाँ

आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी के द्वारा जन साधारण हेतु सरल हिन्दी में तीन देवताओं की स्तुतियों का प्रणयन हुआ है। स्तुति उसे ही कहें तो उचित है जो कि ध्येय तथा ध्याता के मध्य सम्बन्ध स्थापित करे। किन्तु संस्कृत की स्तुतियाँ, एक तो कम लोग ही शुद्ध उच्चारण में समर्थ हैं,...

संस्कृत वाङ्मय का बृहद् इतिहास

<डाउनलोड/ मुख्यपृष्ठ प्रधान सम्पादकपद्मभूषण आचार्य बलदेव उपाध्यायभाषाहिन्दीप्रकाशकउत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानप्रारूप*pdfआकार153.8MB + 198.4MB + 154.3MB + 107.5MB + 186.0MB + 87.5MB + 115.1MB + 124.7MB + 147.4MB + 136.5MB + 195.0MB + 103.7MB + 144.0MB + 297.6MBफाइल...

रुद्राष्टाध्यायी

मुख्यपृष्ठ स्रोतशुक्लयजुर्वेदभाषावैदिक संस्कृत, हिन्दीप्रकाशकगीताप्रेस गोरखपुरप्रारूप*pdfआकार12.7MBफाइल संख्या1 विवरण - यह भगवान् रुद्र को समर्पित रुद्राष्टाध्यायी है, जिसका सस्वर पाठ रुद्राभिषेक में होता है। इस पुस्तिका में पार्थिवेश्वर पूजन सहित सानुवाद आठ और दो...

रामायण मीमांसा

मुख्यपृष्ठ लेखकस्वामी श्री करपात्री जी महाराजभाषाहिन्दी प्रकाशकराधाकृष्ण धानुका प्रकाशन संस्थानप्रारूप*pdfआकार54.6MBफाइल संख्या1 विवरण - स्वामीजी की ये कृति सनातन धर्म में प्राप्त समस्त रामायणों का तात्विक विवेचन है।...

मीमांसा श्लोकवार्त्तिक

मुख्यपृष्ठ लेखककुमारिल भट्टभाषाहिन्दी, संस्कृतप्रकाशककामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालयप्रारूप*pdfआकार552.1MBफाइल संख्या1 विवरण - मीमांसा श्लोकवार्तिक बौद्ध मान्यताओं के विरुद्ध एक सुन्दर ग्रन्थ है।...

मन्दिर प्रवेश विमर्श

मुख्यपृष्ठ लेखकश्री लालबिहारी मिश्रभाषाहिन्दीप्रकाशकप्रारूप *pdfआकार39.1MBफाइल संख्या1 विवरण - मन्दिर प्रवेश विमर्श उन लोगों हेतु शास्त्रीय प्रमाण है जो सबको मन्दिर में घुसने की राह दिखाते हैं। शास्त्रों के सिद्धान्तों का सुन्दर प्रदिपादन है।...

मनुस्मृति

मुख्यपृष्ठ लेखकप्रजापति मनुभाषाहिन्दी, संस्कृतप्रकाशकमुंशी नवलकिशोर सी. आई. ईप्रारूप*pdfआकार18.2MBफाइल संख्या1 विवरण - यह महाग्रंथ भगवान् मनु के माध्यम से प्रदत्त मानव धर्म का स्वरूप है। यह सनातन धर्म तथा विश्वगुरु भारत का संविधान है। जब तक भारत में इसको माना जाता था,...

भुशुण्डि रामायण

मुख्यपृष्ठ लेखकअज्ञातभाषासंस्कृतप्रकाशकविश्वविद्यालय प्रकाशनप्रारूप*pdfआकार54.2MB + 32.1MB + 16.9MBफाइल संख्या3 विवरण - भुषुण्डि रामायण श्री रामचरित काव्य ग्रंथ समूह का एक अभिन्न अंग है। वस्तुतः इसका नाम आदि रामायण, ब्रह्मरामायण तथा भुशुण्डिरामायण ये तीन प्रचलित हैं,...

पुरश्चर्यार्णव

मुख्यपृष्ठ लेखकराजा प्रताप सिंह शाह बहादुर वर्माभाषासंस्कृतप्रकाशकप्रभाकरीप्रारूप*pdfआकार 167.6MB + 207.4MB + 308.1MBफाइल संख्या3 भाग 1 भाग 2 भाग...

नित्यकर्म पूजाप्रकाश

मुख्यपृष्ठ लेखकश्री लालबिहारी मिश्रभाषाहिन्दी, संस्कृतप्रकाशकगीताप्रेस गोरखपुरप्रारूप*pdfआकार144.3MBफाइल संख्या1 विवरण - इस पुस्तकका लेखन कार्य परमाचार्य श्रीयुत पं० श्रीरामभवनजी मिश्रने प्रारम्भ किया, बीचमें ही उनका काशी-लाभ हो जानेके कारण शेष भागका लेखन उनके सुपुत्र...
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