
लेखक | लक्ष्मीनारायण गोस्वामी |
प्रकाशक | वंशीधर प्रेमसुखदास |
प्रारूप | |
आकार | 22.6MB |
भाषा | संस्कृत |
फाइल संख्या | 1 |
विवरण –
उपाकर्म द्विजाति हेतु अत्यंत आवश्यक कर्म है। हर वेद की सूत्रानुसार भिन्न भिन्न पद्धतियाँ हैं। यह पद्धति यजुर्वेद की माध्यन्दिनी शाखा से संबंधित है तथा इन्ही शाखाध्यायियों हेतु ग्राह्य है।