॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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हनुमान् जी की वानर प्रजाति

हनुमान् जी की वानर प्रजाति

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) कुछ लोगों का यह वक्तव्य होता है कि हनूमान् वानर तो थे, किन्तु वानर इत्युक्ति आदिवासियों के लिये ही प्रयुक्त होती है। कुछ जन कहते हैं कि हनूमान् की तो पूँछ भी नहीं...
काखर बर गुसियावौं

काखर बर गुसियावौं

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) रे संगी काखर बर गुसियावौंदेख हमर काया माटी के अपने दुःख भोगै थारी के।गोड़ मा गिर गै हाँथ के कुदरी काबर नइ चिल्लावौं,संगी काखर बर गुसियावौं॥हाथ गोड़ मा देव बसे हें...

देवी भागवत

मुख्यपृष्ठ लेखकभगवान् कृष्णद्वैपायन (वेदव्यास)भाषासंस्कृत, हिन्दीप्रकाशकगीताप्रेस गोरखपुरआकार47.2MB + 46.7MBप्रारूप*pdfफाइल संख्या2 विवरण – पुराणवाङ्मयमें श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण का अत्यन्त महिमामय स्थान है। पुराणोंकी परिगणनामें वेदतुल्य, पवित्र और सभी...

आध्यात्म रामायण

मुख्यपृष्ठ लेखकभगवान् कृष्णद्वैपायन (वेदव्यास) भाषासंस्कृत, हिन्दीप्रकाशकगीताप्रेस गोरखपुरप्रारूप*pdfआकार308.7MBफाइल संख्या1 विवरण – इस ग्रंथ को स्वयं भगवान् शिव के मुख से भवानी हेतु निर्गत जानना चाहिये। यह ग्रन्थ ब्रह्माण्डपुराण के उत्तरखण्ड से प्राप्त होने के...
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