by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 28, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, प्राकीर्ण
हमारी संस्कृत भाषा अत्यंत विस्तृत है। किन्तु सैद्धान्तिक रूप से सरल भी है। वैदिक संस्कृत एक अलग बिन्दु हो जाती है। उस भाषा में स्वर आदि को भी लिपिबद्ध किया जाता है। हम कई बार जब लिखते हैं तो स्वर आदि का भी यथावत् ऋचाओं के साथ टंकण कर देते हैं। कई लोग पूछते हैं कि...