by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 20, 2022 | Uncategorized
सुनीलहस्तचन्द्रहासहाटकस्थले कबन्–धहीनमुण्डमालिकामयामधर्म्यमन्थिकाम्।तथैव दुग्धसागरप्रभा प्रह्रीय ह्नाविकाइव प्रभा प्रपूरितां नुमोऽस्त्वनुग्रहार्णवाम्॥ – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी “नीले रंग के हाथों में चन्द्रहास तथा स्वर्णाभूषणों के स्थान,...