॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

संपर्क करें

दोषारोपण मन का मल

दोषारोपण मन का मल

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) दोषारोपण मन का मल॥देह मृदानिर्मित घट धूसर।भोगे सुख दुःख स्वयं बनाकर॥पैर गिरे यदि हाथ का मुद्गर,क्रुद्ध कहाँ पर लक्ष्य लगाए बैठा आत्म सबल।दोषारोपण मन का मल॥इन्द्रिय...
error: कॉपी न करें, शेयर करें। धन्यवाद।