॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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कृष्ण रति भाव

कृष्ण रति भाव

   लेखक – पं. श्री महेश शर्मा   (भागवत प्रवक्ता, शिक्षक, लेखक) घनश्याम के रंग मै श्याम भई,जब राधा वल्लभ द्वार गई।जग फंद लगे सब भूल अरी,मस्तक रज धरि भ्रम दूर भई॥ जो प्रियतम संग की डोर बंधी।अब युगल चरण से प्रीति मिली।मम मीत सदा राधा वल्लभ।सब...
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