॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवते जितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

संपर्क करें

श्रीनृसिंहप्रपन्नस्तोत्रम्

श्रीनृसिंहप्रपन्नस्तोत्रम्

न मन्त्रं तन्त्रं वा विविधकुलयन्त्रागमशुची–न्न तत्वं मायायास्तवचरणदास्याश्च सचितः।सितास्तस्या वृत्याऽऽचरणपतिता योग्यविकलान योग्योऽहं देव तदपि नृमृगेद्रार्तिथयिषे॥१॥ न मैं मंत्र जानता हूँ, न तन्त्र जानता हूँ, न ही विविध प्रकार के यंत्र, वेद तथा...
error: कॉपी न करें, शेयर करें। धन्यवाद।