by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Mar 19, 2023 | Blogs, महेश शर्मा
वृषभानु सुता ने शृंगार कियो, कब दैखेंगे मोहे वो नंद लला।इक बार चली जब सज धज के पथ बीचि मिले उन्हे बाल सखा।अब सोच रहीं की न देखैं हमें, मुख अंचल ढाँक रहीं वो लजा।जब देखा नही नंद नंदन ने उर बीच उठी अति व्याकुलता।हमने तो शृंगार किये तन पे कहीं देखेंगे नेक पियारे सखा।पर...