भाषा | संस्कृत, हिन्दी |
टीकाकार | डॉ. रामानंद शर्मा |
मुद्रक | कृष्णदास अकादमी |
प्रारूप | |
आकार | 91.8MB |
फाइल संख्या | 1 |
विवरण –
वस्तुतः कामसूत्र अंग्रेजी अनुवादों के रूप में पाश्चात्य विद्वानों द्वारा भारतीय संस्कृति के अपमान का एक शस्त्र बनकर रहा है, जिसमें कि उन्होंने वैदिक व्याख्या के समान अनुचित शब्दों का संयोजन करके इस अतुल्य कृति को केवल वासना का ग्रंथ बनाकर छोड़ दिया है, जिस छवि को यह अब तक साफ नहीं कर पाया। इस ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य यही है कि मानव की जंतुओं के समान उच्छृंखल प्रवृत्तियों को समाप्त करके धार्मिक स्वरूप से उनके जीवन का स्तर बढ़ाया जाये, जिससे कि चारो पुरुषार्थों का आदर्श स्थापित हो। इस लक्ष्य को ऋषि वात्स्यायन ने चार अधिकरणों में सफलतापूर्वक प्राप्त भी किया है।