by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 17, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
जय षष्ठी माते जय हलषष्ठी माते।नीराजनममरैर्कृतमाधात्रे जाते॥ जय हल…करुणामयि गुणशीले तिथिशीलेऽभयदे।वचसातीतमहिम्ने वात्सल्येऽऽनन्दे॥ जय हल…कंसभगिन्या पूज्ये चन्द्रललितसुतदे।वंशकरे प्रभुरिवगुणयुक्तवत्सकप्रदे॥ जय हल…वैदर्भ्याऽपि सुपूज्ये...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 16, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, स्वरचित संस्कृत काव्य
नवासान्द्राच्छादो विपिनतरुवल्ली वलयितालताहारं चारुं सजतिक्षितिवक्षस्थलगताम्।प्लवा भृङ्गार्यश्च मधुररववादेनसयुताऽऽ–गताश्चाराध्यायै स्तव इव सुराऽहो ऋतुमयः॥१॥ वन में लताओं पर नवीन तथा सुकोमल पत्ते छा गए हैं। जैसे सुन्दर लताहार को पृथ्वी अपने वक्ष पर धारण कर रही हो।...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 14, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, स्वरचित संस्कृत काव्य
स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाओं सहित राष्ट्रध्वजा बृहता विपुला संस्कृत कविता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी रामकृष्णसुरवरमुनिचरितायां भारत्यां रमणीयां यत्रोत्पलिफलगुह्यदुर्लभो जोघुष्यन्तेऽमृतप्रवराः।...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 8, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्राक्कथन माता सिद्धेश्वरी का शास्त्रीय वर्णन सम्भवतः केवल वाराहपुराण में कुछ ही श्लोकों में मिलता है। वर्तमान में उनका एक मंदिर वाराणसी में है। वाराह पुराणानुसार वे भगवान् श्रीकृष्ण को संकेत देने वाली देवी हैं अतएव उनका नाम संकेतकेश्वरी भी है। वे ही जम्बुद्वीप पर हम...