॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवते जितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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हलषष्ठी माता की आरती

हलषष्ठी माता की आरती

जय षष्ठी माते जय हलषष्ठी माते।नीराजनममरैर्कृतमाधात्रे जाते॥ जय हल…करुणामयि गुणशीले तिथिशीलेऽभयदे।वचसातीतमहिम्ने वात्सल्येऽऽनन्दे॥ जय हल…कंसभगिन्या पूज्ये चन्द्रललितसुतदे।वंशकरे प्रभुरिवगुणयुक्तवत्सकप्रदे॥ जय हल…वैदर्भ्याऽपि सुपूज्ये...
वर्षाऋतुवर्णनम्

वर्षाऋतुवर्णनम्

नवासान्द्राच्छादो विपिनतरुवल्ली वलयितालताहारं चारुं सजतिक्षितिवक्षस्थलगताम्।प्लवा भृङ्गार्यश्च मधुररववादेनसयुताऽऽ–गताश्चाराध्यायै स्तव इव सुराऽहो ऋतुमयः॥१॥ वन में लताओं पर नवीन तथा सुकोमल पत्ते छा गए हैं। जैसे सुन्दर लताहार को पृथ्वी अपने वक्ष पर धारण कर रही हो।...
राष्ट्रध्वजा बृहता विपुला

राष्ट्रध्वजा बृहता विपुला

स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाओं सहित राष्ट्रध्वजा बृहता विपुला संस्कृत कविता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी  रामकृष्णसुरवरमुनिचरितायां                               भारत्यां रमणीयां यत्रोत्पलिफलगुह्यदुर्लभो                              जोघुष्यन्तेऽमृतप्रवराः।...
श्री सिद्धेश्वरीरञ्जनम्

श्री सिद्धेश्वरीरञ्जनम्

प्राक्कथन माता सिद्धेश्वरी का शास्त्रीय वर्णन सम्भवतः केवल वाराहपुराण में कुछ ही श्लोकों में मिलता है। वर्तमान में उनका एक मंदिर वाराणसी में है। वाराह पुराणानुसार वे भगवान् श्रीकृष्ण को संकेत देने वाली देवी हैं अतएव उनका नाम संकेतकेश्वरी भी है। वे ही जम्बुद्वीप पर हम...
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