by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Apr 6, 2023 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) महाकुण्डितातण्डमार्त्तण्डदीप्तांबृहद्भानुसंतप्तमुण्डस्रजाङ्गीम्॥जटाकञ्चितक्लान्तराज्ञा विरक्तांमुदां ज्वालपां नौमि संरावकर्त्रीम्॥१॥ जिनकी कान्ति भयंकर ज्वालाओं...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Feb 25, 2023 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) कं कं केशेषु मेघेषु मनसिजबृसीं धूर्जटेः भूषितेशींकाशामाकाशवासामरुणकरुणया प्रोल्लसद्रुक्मरेखाम्।डं डं डं डं निनादेऽस्थिरनटनटितां दैत्यनाट्यं विभङ्गांतां वन्दे...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Feb 19, 2023 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, शिवस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) शुभशितिकचकान्तिं दाडिमीपुष्पवर्णा–धरनलिनयमाक्षीं रुक्मशोभाकिरीटम्।विधुजटितजटाभिर्जाटकं मङ्गलानांनववरवधुयुग्मं पार्वतीशं नतोऽस्मि॥१॥ सुन्दर काले केशों की...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Dec 5, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, विष्णुस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) न मन्त्रं तन्त्रं वा विविधकुलयन्त्रागमशुची–न्न तत्वं मायायास्तवचरणदास्याश्च सचितः।सितास्तस्या वृत्याऽऽचरणपतिता योग्यविकलान योग्योऽहं देव तदपि...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Oct 3, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) असितवपुरिवाञ्जनां प्रमीता–जिरचरणामथरिप्रभाविदीप्ताम्।क्षणनुजशिरभित्तिशुक्तितृप्तांवसनविरागतनुं प्रणौमि नर्याम्॥१॥ कज्जल के समान काले शरीर वाली, मृत देह पर...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Sep 7, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, गणेशस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) शिवसङ्गमुदाङ्करतं सुरतंनटराजनटं नृतुयूथमुखम्।सुकृतेर्निकरं इतिख्यातिमयंस्मर रे इह चित्त गणाधिपतिम्॥१॥ “जो भगवान् शिव के गोद में बैठे बड़े आनन्दित हैं। जो...