by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Feb 19, 2023 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, शिवस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) शुभशितिकचकान्तिं दाडिमीपुष्पवर्णा–धरनलिनयमाक्षीं रुक्मशोभाकिरीटम्।विधुजटितजटाभिर्जाटकं मङ्गलानांनववरवधुयुग्मं पार्वतीशं नतोऽस्मि॥१॥ सुन्दर काले केशों की...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Jan 24, 2023 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, पीडीएफ, विष्णुस्तोत्राणि, शिवस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित हिन्दी काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी के द्वारा जन साधारण हेतु सरल हिन्दी में तीन देवताओं की स्तुतियों का प्रणयन हुआ है। स्तुति उसे ही कहें तो उचित है जो कि ध्येय तथा...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Dec 24, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र
अनुवाद – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) ॥ ध्यान ॥ माणिक्यवीणामुपलालयन्तींमदालसां मञ्जुलवाग्विलासाम्।माहेन्द्रनीलद्युतिकोमलाङ्गींमातङ्गकन्यां मनसा स्मरामि॥१॥ आनन्दमग्न होकर माणिक्यभूषित वीणां को बजाती...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Dec 5, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, विष्णुस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्रणेता – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) न मन्त्रं तन्त्रं वा विविधकुलयन्त्रागमशुची–न्न तत्वं मायायास्तवचरणदास्याश्च सचितः।सितास्तस्या वृत्याऽऽचरणपतिता योग्यविकलान योग्योऽहं देव तदपि...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Nov 8, 2022 | Blogs, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र
॥ अथ स्तोत्रम् ॥ श्रीसूर्य उवाचश्रृणु साम्ब महाबाहो सिद्धास्तोत्रमनुत्तमम्।विरुद्धस्याऽसुरगुरौः पीडाशान्तिविधायकम्॥१॥ भगवान् सूर्य कहते हैं, हे साम्ब! तुम इस सिद्धा स्तोत्र को सुनो। जो स्तोत्र असुरों के गुरु की पीड़ा को समाप्त कर देने वाला है। योगिनी सिद्धिदा सिद्धा...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Nov 8, 2022 | Blogs, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र
॥ अथ स्तोत्रम् ॥ सिद्धेश्वर्य्यैः नमस्तुभ्यं नमस्ते च शिवप्रिये।धूम्राक्ष्यै च विरुपायै घोरायै च नमो नमः॥ हे सिद्धेश्वरी! आपके लिये नमस्कार है। हे शिव की प्रिया! हे धूम्राक्षी! हे विरूपा! हे घोरा! आपका नमस्कार है। पञ्चास्यायै शुभास्यायै चन्द्रास्यायै च वै नमः।वरदायै...