॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवते जितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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श्री सिद्धेश्वरी स्तोत्र

श्री सिद्धेश्वरी स्तोत्र

॥ अथ स्तोत्रम् ॥ सिद्धेश्वर्य्यैः नमस्तुभ्यं नमस्ते च शिवप्रिये।धूम्राक्ष्यै च विरुपायै घोरायै च नमो नमः॥ हे सिद्धेश्वरी! आपके लिये नमस्कार है। हे शिव की प्रिया! हे धूम्राक्षी! हे विरूपा! हे घोरा! आपका नमस्कार है। पञ्चास्यायै शुभास्यायै चन्द्रास्यायै च वै नमः।वरदायै...
कालिकालास्यम्

कालिकालास्यम्

असितवपुरिवाञ्जनां प्रमीता–जिरचरणामथरिप्रभाविदीप्ताम्।क्षणनुजशिरभित्तिशुक्तितृप्तांवसनविरागतनुं प्रणौमि नर्याम्॥१॥ कज्जल के समान काले शरीर वाली, मृत देह पर चरण रखी हुई तथा चारो ओर धधकती ज्वाला से दीप्त, कपाल में रक्त को भरकर पीती हुई तृप्ति प्राप्त करने वाली तथा...
श्रीगणपतिमदनस्तोत्रम्

श्रीगणपतिमदनस्तोत्रम्

शिवसङ्गमुदाङ्करतं सुरतंनटराजनटं नृतुयूथमुखम्।सुकृतेर्निकरं इतिख्यातिमयंस्मर रे इह चित्त गणाधिपतिम्॥१॥ “जो भगवान् शिव के गोद में बैठे बड़े आनन्दित हैं। जो कि नटराज के पुत्र तथा नटियों के समूह के भी मुख्य हैं। जो सुकृति के घर के रूप में प्रसिद्ध हैं, अरे चित्त!...
आदित्यहर्षणस्तोत्रम्

आदित्यहर्षणस्तोत्रम्

वैष्णवानां हरिस्त्वं शिवे धूर्जटिर्–शक्तिरूपो नतीनां कृतान्तः परम्।यो गणारूढ़निर्यूहद्वैमातुरःसः सुरेशो रविस्त्वं सदा स्तोचताम्॥१॥ वैष्णवों के आप ही हरि हैं, शाङ्कर परम्परा में आप ही शिव हैं तथा आप ही शक्तिस्वरूप हैं। आप ही समस्त नमस्कारों के परम भाग्य (गन्तव्य)...
ब्रह्मबाणस्तोत्रम्

ब्रह्मबाणस्तोत्रम्

व्यक्ताव्यक्तं सुरूपमप्रतिमसगुणं निर्गुणं निर्विकल्पंशब्दातीतं गुणाच्चाविचलितसचलं शाश्वतं शुद्धज्ञानम्॥भिन्नाभिन्नप्रधानप्रतिशयनिपुणं सर्वसम्मोहनात्मंयुक्तं मुक्तं प्रकृत्यां वियदिवकमलं वीक्षितं पण्डितैश्च॥१॥ व्यक्त तथा अव्यक्त, रूपयुक्त तथा रूपहीन, सगुण तथा निर्गुण...
हलषष्ठी माता की आरती

हलषष्ठी माता की आरती

जय षष्ठी माते जय हलषष्ठी माते।नीराजनममरैर्कृतमाधात्रे जाते॥ जय हल…करुणामयि गुणशीले तिथिशीलेऽभयदे।वचसातीतमहिम्ने वात्सल्येऽऽनन्दे॥ जय हल…कंसभगिन्या पूज्ये चन्द्रललितसुतदे।वंशकरे प्रभुरिवगुणयुक्तवत्सकप्रदे॥ जय हल…वैदर्भ्याऽपि सुपूज्ये...
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