by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Oct 3, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
असितवपुरिवाञ्जनां प्रमीता–जिरचरणामथरिप्रभाविदीप्ताम्।क्षणनुजशिरभित्तिशुक्तितृप्तांवसनविरागतनुं प्रणौमि नर्याम्॥१॥ कज्जल के समान काले शरीर वाली, मृत देह पर चरण रखी हुई तथा चारो ओर धधकती ज्वाला से दीप्त, कपाल में रक्त को भरकर पीती हुई तृप्ति प्राप्त करने वाली तथा...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 17, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
जय षष्ठी माते जय हलषष्ठी माते।नीराजनममरैर्कृतमाधात्रे जाते॥ जय हल…करुणामयि गुणशीले तिथिशीलेऽभयदे।वचसातीतमहिम्ने वात्सल्येऽऽनन्दे॥ जय हल…कंसभगिन्या पूज्ये चन्द्रललितसुतदे।वंशकरे प्रभुरिवगुणयुक्तवत्सकप्रदे॥ जय हल…वैदर्भ्याऽपि सुपूज्ये...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Aug 8, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, देविस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
प्राक्कथन माता सिद्धेश्वरी का शास्त्रीय वर्णन सम्भवतः केवल वाराहपुराण में कुछ ही श्लोकों में मिलता है। वर्तमान में उनका एक मंदिर वाराणसी में है। वाराह पुराणानुसार वे भगवान् श्रीकृष्ण को संकेत देने वाली देवी हैं अतएव उनका नाम संकेतकेश्वरी भी है। वे ही जम्बुद्वीप पर हम...