by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Sep 7, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, गणेशस्तोत्राणि, स्तोत्र, स्वरचित संस्कृत काव्य
शिवसङ्गमुदाङ्करतं सुरतंनटराजनटं नृतुयूथमुखम्।सुकृतेर्निकरं इतिख्यातिमयंस्मर रे इह चित्त गणाधिपतिम्॥१॥ “जो भगवान् शिव के गोद में बैठे बड़े आनन्दित हैं। जो कि नटराज के पुत्र तथा नटियों के समूह के भी मुख्य हैं। जो सुकृति के घर के रूप में प्रसिद्ध हैं, अरे चित्त!...