by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Oct 17, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, प्राकीर्ण
यहाँ दिये गए सारे वाक्य शास्त्रों के हैं। इनका उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं अपितु भागवत प्रवाचिका युवतियों तथा श्रोताओं को अवगत कराना है। ये शास्त्र सिद्धान्त धर्म है। इनका पालन न करने वाला हर व्यक्ति अधर्मी ही होगा। “इतिहासपुराणं च पञ्चमं वेद...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Oct 13, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, प्राकीर्ण
करक चतुर्थी या करवा चौथ के नाम से यह बड़ा ही प्रचलित व्रत है जो वर्ष से चतुर्थीव्रतों में से एक है। इस दिन सौभाग्य की अक्षरता हेतु स्त्री भगवान् गणपति की पूजा करती है। आधुनिक काल में इस व्रत में भी विविधता परिलक्षित होती है अतएव इस लेख को लिखने का उद्देश्य सिद्ध है।...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Oct 13, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, प्राकीर्ण
वर्तमान समय में हम जिस पृथ्वी पर निवास करते हैं, प्रश्न यही है कि हम उसके विषय में कितना जानते हैं। सम्भवतः इसके विषय में हमें एक प्रतिशत का भी ज्ञान नहीं। हमें यह ज्ञान अवश्य है कि हमारे समक्ष ज्ञान का अथाह भण्डार सनातन शास्त्रों के रूप में पड़ा है किन्तु हम या तो...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Sep 26, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, प्राकीर्ण
जिस प्रकार सिंह शावक की माता अपने पुत्र के ऊपर भय जानकर तत्क्षण उसके निकट आ जाती है, तथा एव भगवती इन वज्रदंष्ट्रा कही जाने वाली वसंत तथा शरद ऋतुओं में अपने पुत्रों की रक्षा हेतु उनके सन्निकट आ जाती है। आश्विन में हस्तयुक्त नन्दा तिथि में वेदी आदि निर्माण करके नक्तादि...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Sep 14, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, प्राकीर्ण
व्याकरण भाषा का मेरुदण्ड है, ऐसा कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं। कोई भी ग्रंथ किसी भाषा में लिखी होती है तो वह व्याकरण के सूत्रों से बंधी होती है। हमारे धर्मशास्त्र, इतिहास, पुराणादि संस्कृतव्याकरण के सूत्रों से बंधे हैं। उनका अनुवाद करने हेतु हमें उन साहित्यों पर...
by पं. श्री कौशलेन्द्रकृष्णशर्मा | Sep 13, 2022 | Blogs, आचार्यश्री जी, प्राकीर्ण
हम नवदिवस तक नवरात्र में श्रीदुर्गाजी की पूजा करते हैं। वस्तुतः यह नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। नव दिवस तक हम नित्य नव देवियों की विधिवत् पूजा किया करते हैं, तदनन्तर हम दशवें दिन उस मूर्ति को जल में विसर्जित कर देते हैं। कुछ जन यहीं प्रश्न करते...