ऽ॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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प्राचीन भारतीय सभ्यता : वेदों की प्राचीनता

प्राचीन भारतीय सभ्यता : वेदों की प्राचीनता

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) मुख्य बिन्दु धार्मिक परिपेक्ष्य से वेदों की उत्पत्तिआंग्ल परिपेक्ष्य से वेदों की उत्पत्तिबालगंगाधर तिलक के अनुसारआर्य प्रवासवेदों की प्राचीनतावेद मंत्रों के...
प्राचीन भारतीय सभ्यता : आर्य प्रवास एक झूठ

प्राचीन भारतीय सभ्यता : आर्य प्रवास एक झूठ

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) मुख्य बिन्दु सिंधु घाटी की सभ्यताआर्य प्रवास (या आर्य आक्रमण) का अर्थ तथा इसके विरोधियों की सोंचमैक्समूलर प्रभृति लोगों का औचित्यआर्य प्रवास पर भीमराव अंबेडकर का...
प्राचीन भारतीय सभ्यता : सिंधु घाटी का धर्म

प्राचीन भारतीय सभ्यता : सिंधु घाटी का धर्म

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हमारा भारत आज से नहीं, आदि से ही विविधताओं का देश है। यहाँ गांव गांव में प्रथाएं हैं वो भी परिवर्तन के साथ संजोई हुई। वहाँ के गीत, इतिहास आदि उनका ब्यौरा हम सब तक...
हृदयस्थल के अंतः तल में

हृदयस्थल के अंतः तल में

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हृदयस्थल के अंतः तल मेंएक नाम नित गाता हूँ।राम राम की धुन को सुनकरशरणागत हो जाता हूँ।देवालय में निज आलय मेंनिर्जन वन के मेघालय में।लय में लय से मुक्त निलय मेंराम...
दोषारोपण मन का मल

दोषारोपण मन का मल

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) दोषारोपण मन का मल॥देह मृदानिर्मित घट धूसर।भोगे सुख दुःख स्वयं बनाकर॥पैर गिरे यदि हाथ का मुद्गर,क्रुद्ध कहाँ पर लक्ष्य लगाए बैठा आत्म सबल।दोषारोपण मन का मल॥इन्द्रिय...
काखर बर गुसियावौं

काखर बर गुसियावौं

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) रे संगी काखर बर गुसियावौंदेख हमर काया माटी के अपने दुःख भोगै थारी के।गोड़ मा गिर गै हाँथ के कुदरी काबर नइ चिल्लावौं,संगी काखर बर गुसियावौं॥हाथ गोड़ मा देव बसे हें...
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