॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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तैं नइ जानच (लोकगीत)

तैं नइ जानच (लोकगीत)

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) तैं हा नइ जानच पोंगा फँसे हे तोर डोंगातैं नइ जानच।ये रे!तोर मोर काया माटी के संगी मोर!एही आवै जम्मो पोथी बेद के निचोरतैं हा नइ जानच।लाली पानी के तोर काया...
ख्वाब में आकर कन्हैया क्यूँ सताते हो?

ख्वाब में आकर कन्हैया क्यूँ सताते हो?

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) ख्वाब में आकर कन्हैया क्यूँ सताते हो?जो जगूँ तो यूँ ही कैसे भाग जाते हो?रुक के पल भर देख लो रे ऐ मेरे ज़ालिमराधिका के नाम की आँसू बहाते हो।ख्वाब में नित ही लबों को...
हिन्दू राम राम बस कहता है…

हिन्दू राम राम बस कहता है…

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) बैठा हिन्दू राम राम बस कहता है।राम धर्म से विस्मृत सा उल्टी धारा में बहताहिन्दू राम राम बस कहता है।वैदिक धर्मसूत्र से वंचितपैशाची मन से जो संचितचिन्तन से निर्मित...
हृदयस्थल के अंतः तल में

हृदयस्थल के अंतः तल में

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हृदयस्थल के अंतः तल मेंएक नाम नित गाता हूँ।राम राम की धुन को सुनकरशरणागत हो जाता हूँ।देवालय में निज आलय मेंनिर्जन वन के मेघालय में।लय में लय से मुक्त निलय मेंराम...
दोषारोपण मन का मल

दोषारोपण मन का मल

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) दोषारोपण मन का मल॥देह मृदानिर्मित घट धूसर।भोगे सुख दुःख स्वयं बनाकर॥पैर गिरे यदि हाथ का मुद्गर,क्रुद्ध कहाँ पर लक्ष्य लगाए बैठा आत्म सबल।दोषारोपण मन का मल॥इन्द्रिय...
काखर बर गुसियावौं

काखर बर गुसियावौं

   लेखक – आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) रे संगी काखर बर गुसियावौंदेख हमर काया माटी के अपने दुःख भोगै थारी के।गोड़ मा गिर गै हाँथ के कुदरी काबर नइ चिल्लावौं,संगी काखर बर गुसियावौं॥हाथ गोड़ मा देव बसे हें...
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