हमारे लेख
काखर बर गुसियावौं
लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) रे संगी काखर बर गुसियावौंदेख हमर काया माटी के अपने दुःख भोगै थारी के।गोड़ मा गिर गै हाँथ के कुदरी काबर नइ चिल्लावौं,संगी काखर बर गुसियावौं॥हाथ गोड़ मा देव बसे हें अपने दे...
कृष्ण रति भाव
लेखक - पं. श्री महेश शर्मा (भागवत प्रवक्ता, शिक्षक, लेखक) घनश्याम के रंग मै श्याम भई,जब राधा वल्लभ द्वार गई।जग फंद लगे सब भूल अरी,मस्तक रज धरि भ्रम दूर भई॥ जो प्रियतम संग की डोर बंधी।अब युगल चरण से प्रीति मिली।मम मीत सदा राधा वल्लभ।सब हार के...
वैशाख के झड़ी
लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) "माथ मटू हे मंजूर के पंख त कान के नाक के बात कहाँ हे।आँख के आँजे सजे संगवारी त सुग्घर मा रति काम लजा हे।डेरी के खांध म डेरा त आन म बंसरी तान के सान सजा हे।'कौशल' राधा के राउत रूप बिसाख रगी म...
श्रीकालीज्वालपास्तव
प्रणेता - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) महाकुण्डितातण्डमार्त्तण्डदीप्तांबृहद्भानुसंतप्तमुण्डस्रजाङ्गीम्॥जटाकञ्चितक्लान्तराज्ञा विरक्तांमुदां ज्वालपां नौमि संरावकर्त्रीम्॥१॥ जिनकी कान्ति भयंकर ज्वालाओं से...
करिया कन्हैया नन्दलाल रे…
लेखक - पं. श्री सूरज प्रसाद शर्मा(सूखाताल, कवर्धा छत्तीसगढ़) करिया कन्हैया नन्दलाल रे, मुरलिया तोर।मधुर मधुर धुन बाजे, बसुरिया तोर। करिया कन्हैया…मैं जिहाँ जिहाँ जाथौं, तैं उहाँ उहाँ जाथस।मैं तोला नइ छिटकारौं काबर आघू पाछू आथस।तोर मन मा भरे हे मलाल रे, मुरलिया तोर।...
होली पर एक भाव
लेखक - पं. श्री महेश शर्मा (भागवत प्रवक्ता, शास्त्र अध्येता, लेखक) वृषभानु सुता ने शृंगार कियो, कब दैखेंगे मोहे वो नंद लला।इक बार चली जब सज धज के पथ बीचि मिले उन्हे बाल सखा।अब सोच रहीं की न देखैं हमें, मुख अंचल ढाँक रहीं वो लजा।जब देखा नही नंद...