॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवतेऽजितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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प्राचीन भारतीय सभ्यता : सिंधु घाटी का धर्म

प्राचीन भारतीय सभ्यता : सिंधु घाटी का धर्म

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हमारा भारत आज से नहीं, आदि से ही विविधताओं का देश है। यहाँ गांव गांव में प्रथाएं हैं वो भी परिवर्तन के साथ संजोई हुई। वहाँ के गीत, इतिहास आदि उनका ब्यौरा हम सब तक सुलभ...

हृदयस्थल के अंतः तल में

हृदयस्थल के अंतः तल में

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) हृदयस्थल के अंतः तल मेंएक नाम नित गाता हूँ।राम राम की धुन को सुनकरशरणागत हो जाता हूँ।देवालय में निज आलय मेंनिर्जन वन के मेघालय में।लय में लय से मुक्त निलय मेंराम नाम लय...

दोषारोपण मन का मल

दोषारोपण मन का मल

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) दोषारोपण मन का मल॥देह मृदानिर्मित घट धूसर।भोगे सुख दुःख स्वयं बनाकर॥पैर गिरे यदि हाथ का मुद्गर,क्रुद्ध कहाँ पर लक्ष्य लगाए बैठा आत्म सबल।दोषारोपण मन का मल॥इन्द्रिय चय...

काखर बर गुसियावौं

काखर बर गुसियावौं

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) रे संगी काखर बर गुसियावौंदेख हमर काया माटी के अपने दुःख भोगै थारी के।गोड़ मा गिर गै हाँथ के कुदरी काबर नइ चिल्लावौं,संगी काखर बर गुसियावौं॥हाथ गोड़ मा देव बसे हें अपने दे...

कृष्ण रति भाव

कृष्ण रति भाव

   लेखक - पं. श्री महेश शर्मा   (भागवत प्रवक्ता, शिक्षक, लेखक) घनश्याम के रंग मै श्याम भई,जब राधा वल्लभ द्वार गई।जग फंद लगे सब भूल अरी,मस्तक रज धरि भ्रम दूर भई॥ जो प्रियतम संग की डोर बंधी।अब युगल चरण से प्रीति मिली।मम मीत सदा राधा वल्लभ।सब हार के...

वैशाख के झड़ी

वैशाख के झड़ी

   लेखक - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी   (कथावक्ता, श्लोककार, ग्रंथकार, कवि) "माथ मटू हे मंजूर के पंख त कान के नाक के बात कहाँ हे।आँख के आँजे सजे संगवारी त सुग्घर मा रति काम लजा हे।डेरी के खांध म डेरा त आन म बंसरी तान के सान सजा हे।'कौशल' राधा के राउत रूप बिसाख रगी म...

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