॥ घृणिः ॥ ॐ नमो भगवते जितवैश्वानरजातवेदसे ॥ घृणिः ॥

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श्यामलादण्डकं सार्थम्

श्यामलादण्डकं सार्थम्

  ॥ ध्यान ॥ माणिक्यवीणामुपलालयन्तींमदालसां मञ्जुलवाग्विलासाम्।माहेन्द्रनीलद्युतिकोमलाङ्गींमातङ्गकन्यां मनसा स्मरामि॥१॥ आनन्दमग्न होकर माणिक्यभूषित वीणां को बजाती हुईं तथा सुन्दर वाक्यों के माध्यम से गायन करने वाली, वज्र के समान नीलद्युति से युक्त कोमल अंगों...
क्या ज्येष्ठ के मरणोपरान्त स्त्री अपने देवर को स्वीकार करके अपना वैधव्य त्याग सकती है?

क्या ज्येष्ठ के मरणोपरान्त स्त्री अपने देवर को स्वीकार करके अपना वैधव्य त्याग सकती है?

वर्तमान समय में कुछ इतर जातियाँ हैं जो अग्रज के मरणोपरान्त अनुज को विधवा का पति स्वीकार लेतीं हैं। वस्तुतः हम इन रीतियों के विषय में कुछ कहना तो नहीं चाहते किन्तु किसी के माध्यम से पूछे जाने पर इसपर लिख रहे हैं। विधवा का विवाह समर्थन करने वाले जन मुख्यतः निरुक्त...
Avyangabhanu : अव्यंगभानु

Avyangabhanu : अव्यंगभानु

ग्रंथाकृति में पहली बार। मगों तथा सूर्योपासक विप्रों हेतु परमावश्यक “अव्यंग” का दुर्लभ विधान जो कि मात्र १२ रश्मियों (अध्यायों) तथा ३६० श्लोकों में लिखित है। तुरन्त ऑर्डर करें पुस्तकाकार प्रारूप AMAZON (Price – ₹200) FLIPKART (Price – ₹200)...
वेदों में साकार परमेश्वर, अवतार तथा मूर्तिपूजा के प्रमाण

वेदों में साकार परमेश्वर, अवतार तथा मूर्तिपूजा के प्रमाण

आज कलयुग में कुछ ऐसे प्रबुद्ध जनों के अनुयायी हैं जो गणेश को ईश्वर का नाम तथा ओम् का पर्याय बताते हैं किन्तु ग्रन्थ प्रारम्भ में “श्रीगणेशाय नमः” लिखने के स्थान में “ओम्” मात्र लिखने के ही पक्षधर होते हैं। ये ऐसे प्रबुद्ध हैं जो स्वयं ईश्वर को...
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